मूलभूत पानी पहले, बोतल बाद में: SC ने PIL ठुकराई
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें बोतल बंद पानी यानी Packaged Drinking Water की क्वालिटी के अंतरराष्ट्रीय मानकों को भारत में लागू करने की डिमांड की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसको 'लग्जरी लिटिगेशन' बताया। कोर्ट ने कहा कि इस देश में आम लोगों के पास आज भी बुनियादी पीने का पानी मुश्किल से है, इसलिए बोतल बंद पानी की क्वालिटी का विवाद विचारणीय नहीं है।
PIL का तर्क और अदालत की प्रतिक्रिया
Live Law में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, इस PIL में सिंगापुर, यूरोपीय यूनियन और अन्य विकसित देशों के स्टैंडर्ड्स को लागू करने का सलाह दी गई थी, ताकि भारत में बिक रहे बोतल बंद पानी में हानिकारक रसायनों की अधिकतम सीमा WHO के मुताबिक तय की जाए। इसका पक्ष लेते हुए वकील ने कहा था कि यह सेहत और सुरक्षा का मुद्दा है। भारतीय स्टैंडर्ड्स को तेजी से सुधारना चाहिए।
इस वजह से SC ने खारिज की याचिका
लेकिन सुप्रीम कोर्ट में CJI सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इसे शहरी सोच बताया। अदालत ने कहा कि भारत का बड़ा भाग आज भी ग्रामीण इलाकों में भूजल पर निर्भर है। यहां तक कि पीने के पानी की बुनियादी जरूरत भी चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में बोतलबंद पानी के इंटरनेशनल स्टैंडर्ड्स तय करने की डिमांड को लग्जरी मुद्दा कहकर खारिज करना उचित है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, अगर याचिकाकर्ता देश की जमीनी हकीकत जानना चाहता है तो महात्मा गांधी की तरह देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करे, जहां लोगों को पेयजल तक के लिए परेशानी झेलनी पड़ रही है। अदालत ने साफ किया कि ऐसे मुद्दों पर विचार तभी हो सकता है जब मूलभूत पेयजल की समस्या पहले हल हो जाए।








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